वैष्णव

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वैष्णव ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ वैष्णवी]

१. वह जो विष्णु की आराधना करता हो । विष्णु की उपासना करनेवाला ।

२. हिदुओं का एक प्रसिद्ध धार्मिक संप्रदाय । इस संप्रदाय के लोग प्रधानतः विष्णु की उपासना करते हैं और अपेक्षाकृत बड़े आचार विचार स रहते हैं । विशेष—भारतवर्ष में विष्णु की उपासना बहुत प्राचीन काल से चली आती है । महाभारत के समय में यह धर्म पांचरात्र या नारा- यणीय धर्म कहलाता था । पीछे यही भागवत धर्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ और इसमें वासुदेव या कृष्ण की उपासना प्रधान हुई । नारायणीय आख्यान में लिखा है कि पहले नारायण ने इस धर्म का उपदेश ब्रह्मा को किया था । ब्रह्मा ने नारद की, नारद ने व्यास का और व्यास ने शुकदेव को यह धर्म बतलाया था और तब शुकदेव से सर्वसाधारण में यह धर्म प्रचलि त हुआ था । शंकराचार्य ने इस मत को अवैदिक सिद्ध करना चाहा चाहा था, जिसका रामानुजाचार्य ने खंड़न किया । बीच में इस धर्म का कुछ ह्रास हो गया था, पर चैतन्य, रामानुजा- चार्य, बल्लभाचाचार्य आदि आचार्यों ने इस धर्म का फिर से बहुत आधिक प्रचार किया, और इस समय यह भारत के मुख्य संप्रदायों में से एक है । यह धर्म भक्तिप्रधान है और इसमें विष्णु ही उपास्य हैं । आजकल इस संप्रदाय की अनेक शाखाएँ और प्रशाखाएँ निकल आई हैं— चैतन्य, वल्लभ इत्यादि । अधिक संप्रदाय विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के उपासक हैं । कुछ संप्रदायवाले माथे पर के तिलक के आतिरिक्त शंख, चक्र, गटा, पद्म आदि चिह्न भी शरीर में अंकित कराते हैं ।

३. यज्ञकुंड़ की भस्म ।

४. विष्णुपुराण ।

५. विष्णु का लोक । वैकुठं (को॰) ।

६. श्रवण नक्षत्र (को॰) ।

वैष्णव ^२ वि॰

१. विष्णु संबंधी । विष्णु का ।

२. विष्णु को इष्टदेव माननेवाला ।