वोट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वोट ^१ संज्ञा पुं॰ [अं॰] वह संमति जो किसी सार्वजनिक पद पर किसी को निर्वाचित करने या न करने, अथवा सर्वसाधारण से संबंध रखनेवाले किसी नियम या कानून आदि के निर्धारित होने या न होने आदि के विषय में प्रकट की जाती है । किसी सार्वजनिक कार्य आदि के होने या न होने आदि के संबंध में दी हुई अलग अलग राय । छंद । विशेष—आजकल सभा समितियों में निर्वाचन के संबंध में या और किसी विषय में सभासदों अथवा उपस्थित लोगों की संमतियाँ ली जाती हैं । यह संमति या तो हाथ उठाकर या खड़े होकर या कागज आदि पर लिखकर प्रकट की जाती है । इसी संमति को वोट कहते हैं । आजकल प्रायः म्युनिसिपल और डिस्ट्रिक्ट बोर्डों तथा काउंसिलों (प्रांतीय विधानसभा, लोकसभा) आदि के चुनाव में कुछ विशिष्ट अधिकारप्राप्त लोगों से वोट लिया जाता है । भारतवर्ष में प्राचीन बौद्धकाल में और उसके पहले भी इससे मिलती जुलती संमति देने की प्रथा थी, जिसे छंदस् या छंद कहते थे । क्रि॰ प्र॰—देना ।—माँगना ।
वोट ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ओट]
१. ओट । आड़ । उ॰—इक पट वोट वोरि सुख कीजै । आवहु वलि छिन छिन छबि छीजै ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ १६५ ।
२. ओट करने का पट । दुपट्टा । चादर वा चूनरी आदि का वह अंश जिससे ओट या घूँघट किया जाता है । उ॰—पहिरैं कनक कड़ा औ बागा । वोट गै पाट उपर मनि लागा ।—इंद्रा॰, पृ॰ ११४ ।
वोट आफ सेंसर संज्ञा पुं॰ [अं॰] निंदा का प्रस्ताव । निंदात्मक प्रस्ताव । जैसे,—परिषद् ने बहुमत से सरकार से विरुद्ध वोट आफ सेंसर पास किया ।