व्यष्टि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

व्यष्टि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. समूह या समाज में से अलग किया हुआ प्रत्येक व्यक्ति या पदार्थ । वह जिसका विचार अकेले हो, औरों के साथ न हो । समष्टि का एक विशिष्ट और पृथक् अंश ।