व्याघात

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

व्याघात संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. विघ्न । खलबल । बाधा । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—होना ।

२. आघात । प्रहार । मार ।

३. ज्योतिष के विष्कंभ आदि सत्ता- इस योगों में से तेरहवाँ योग जिसमें किसी प्रकार का शुभ कार्य करना वर्जित है । विशेष—कुछ लोगों का मत है कि इसके पहले छहू दंड़ों को छोड़कर शेष समय में शुभ काम किए जा सकते हैं । कहते हैं, इस योग में जो बालक जन्म ग्रहण करता है, वह साधुओं के काम में विघ्न करनेवाला, कठोर, झूठा और निर्दय होता है ।

४. काव्य में एक प्रकार का अलंकार जिसमें एक ही उपाय के द्वारा अथवा एक ही साधन के द्वारा दो विरोधी कार्यो के होने का वर्णन हाता है । उ॰—(क) जासा काटत जगत के बंधन दीन दयाल । ता । चितवान सों तियन के मन बाँधे गोपाल । (ख) नाम प्रभाव जान शिव नीके । काककूट फल दीन अमी क । (ग) रण से हूबे को अमर भागत कादर कूर । यहै चाह चित करि नहीं बिचलत साचे सूर । (घ) मिलत एक दारुन दूख देहीं । बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं ।

५. विप्रतिषेध । वचनाविरोध ।

६. विरोधी आचरण (को॰) ।

७. पराजय । हार (को॰) ।

८. क्षोभ (को॰) ।