व्याज

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

व्याज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मन में कोई और बात रखकर ऊपर से कुछ और करना या कहना । कपट । छल । धोखा । यौ॰—व्याजनिंदा । व्याजस्तुति । व्याजोक्ति ।

२. बाधा । विघ्न । खलल ।

३. विलंब । देर ।

४. बहाना । व्यपदेश । उ॰—जब तक वह अपने कुटीर में बैठता किसी न किसी व्याज से मैं उसे देख लेती ।—श्यामा॰, पृ॰ ५६ ।

५. कला । कौशल (को॰) ।

६. युक्ति । चाल । कूट- युक्ति (को॰) ।

व्याज ^२ संज्ञा पुं॰ दे॰ 'ब्याज' ।