व्याहृति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

व्याहृति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. कथन । उक्ति ।

२. उच्चारण । वचन (को॰) ।

३. भुः, भुवः, स्वः इन तीनों का मंत्र । विशेष—कहते हैं, जहाँ और कोई मंत्र न हो, वहाँ इसी व्याहृति मंत्र से काम लेना चाहिए । कुछ विद्बानों के मतानुसार व्याहृतियाँ सात है—भूः, भुवः, स्वः, महः जनः, तपः और सत्यम् । इनमें प्रारँभिक तीन महाव्याहृति कही गई है और ये सवितृ और पृश्नि की कन्या मानी जाती हैं ।