शंकर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शंकर ^१ वि॰ [सं॰ शङ्कर]
१. मंगल करनेवाला ।
२. शुभ ।
३. लाभदायक ।
शंकर ^१ संज्ञा पुं॰
१. शिव का एक नाम जो कल्याण करनेवाले माने जाते हैं । महादेव । शंभु । यौ॰—शंकर की लकड़ी = कहारों री परिभाषा में ऊख । विशेष—जब कहार पालकी लेकर चलते हैं और रास्ते में उन्हें ऊख पड़ी हुई मिलती है, तब आगेवाला कहार पीछेवाले कहार को सचेत करने के लिये इस पद का प्रयोग करता है ।
२. दे॰ 'शंकराचार्य' ।
३. भीमसेनी कपूर ।
४. कबूतर ।
५. एक छंद का नाम जिसके प्रत्येक चरण में १६ और १० के विश्राम से २६ मात्राएँ होती हैं और अंत में गुरु लघु होता है ।
६. एक राग जो मेघ राग का आठवाँ पुत्र कहा गया है । विशेष—कहते है कि इसका रंग गोरा है; श्वेत वस्त्र धारण किए हुए है; तीक्ष्ण त्रिशूल इसके हाथ में है; पान खाए और अरगजा लगाए स्त्री के साथ विहार करता है । शास्त्रों में यह संपूर्ण जाति का कहा गया है । रात्रि का प्रथम पहर इसके गाने का समय है; और यों रात्रि में कियी समय गाया जा सकता है ।
शंकर ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङ्कर] दे॰ 'संकर' उ॰—शंकर बरण पशु पक्षी में ही पाइयत अलकही पारत अरु भंग निरधारही ।— गुमान (शब्द॰) ।
शंकर का फूल संज्ञा पुं॰ [सं॰ शङ्कर + हिं॰ फूल] शंखोदरी । गुलपरी ।