शंकराभरण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शंकराभरण संज्ञा पुं॰ [सं॰ शङ्कराभरण] संपूर्णा जाति का एक प्रकार का राग जो नटनारायण राग का पुत्र माना जाता है । इसके गाने का समय प्रभात है, और किसी किसी के मत से सायंकाल में १६ दंड से दंड तक भी गाया जा सकता है । उ॰—गाऊँ कैसे शंकराभरण, दरसाऊँ कैसे स्वर लक्षण ।—क्वासि, पृ॰ ७३ ।