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शंखक

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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शंखक संज्ञा पुं॰ [सं॰ शङ्खक]

१. वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का असाध्य रोग । शंखवात । विशेष—इस रोग में बहुत गरमी होती है और त्रिदोष बिगड़ने से कनपटी में दाह सहित लाल रंग की गिल्टी निकल आती है, जिससे सिर और गला जकड़ जाता है । कहते हैं, यह असाध्य रोग है और तीन दिन के अंदर इसका इलाज संभव है, इसके बाद नहीं ।

२. हवा के चलने का शब्द ।

३. हीरा कसीस ।

४. मस्तक । माथा ।

५. नौ निधियों में से एक निधि ।

६. शंख का बना कंकण या वलय ।