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शक्ती

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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शक्ती ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शक्ति] एक प्रकार के मात्रिक छंद का नाम । विशेष—इसके प्रत्येक चरण में १८ मात्राएँ होता है और इसकी रचना ३ + ३ + ४ + ३ + ५ होती है । अंत में सगण, रगण, या मगण में से कोई एक और आदि में एक लघु होना चाहिए । इसकी १, ६, ११ और १७वीं मात्रा लघु रहती है । यह भुजंगी और चंद्रिका वृत की चाल पर होता है । अंतर यह है कि वे गणबद्ध होते है और यह स्वतंत्र है । यह छंद फारसी के 'करीमा' बबख्शाय बर हाल मा । कि हस्तम् असीरे कमंदे हवा' की बहर से मिलता है । जैसे, उ॰—शिवा शंभु के पाँव पंकज गहौं । विनायक सहायक सदा दिन चहौं ।—काव्य प्र॰ (शब्द॰) ।

शक्ती ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शक्तिन्] शक्तिवाला । शक्तिशाली । बलवान् ।

शक्ती ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ शक्ति] दे॰ 'शक्ति' ।