शक्तुक संज्ञा पुं॰ [सं॰] भावप्रकाश के अनुसार एक प्रकार का बहुत तीव्र और उग्र विष जो भसोड़ के समना होता है । पीसने से यह सहज ही में पिसकर सत्तु के समान हो जाता है ।