शगुन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शगुन संज्ञा पुं॰ [सं॰ शकुन (मि॰ फा॰ शगुन, शुगुन, शुगुन)]
१. किसी काम के समय होनेवाले लक्षणों का शुभाशुभ विचार । शकुन । विशेष दे॰ 'शकुन' । मुहा॰—शगुन लेना या विचारना = कोई काम करने से पहले कुछ विशिष्ट क्रियाओं द्वारा यह जानना कि यह होगा कि नहीं ।
२. किसी काम के आरंभ में होनेवाले शुभ लक्षण ।
३. एक प्रकार की रसम जो विवाह की बातचीत पक्की होने पर होती है । इसमें कन्या पक्ष के लोग वर पक्ष के लोगों के यहाँ कुछ मिठाई और नगद आदि भेजते हैं । तिलक । टीका । क्रि॰ प्र॰—देना ।—भेजना ।—लेना ।
४. नजराना । भेंट (को॰) ।
५. बहला में वह स्थान जहाँ बैल हाँकनेवाला बैठता है ।
शगुन संज्ञा पुं॰ [फा़॰ शुगुन] दे॰ 'शगुन' ।