शप्

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शप् ^१ [सं॰] पाणिनि द्वारा प्रयुक्त एक विकरण जो स्वादि गण में प्रयुक्त होता है । धातुओं के बाद और तिडंत प्रत्ययों के पूर्व इसका प्रयोग होता है जिसका रुप 'अ' शेष रहता है । जैसे, /?/भू + शप् + ति = /?/भू + अ + ति = भवति ।

शप् ^२ अव्य॰ [सं॰] स्वीकरणसूचक शब्द । स्वीकार [को॰] ।