शप्
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शप् ^१ [सं॰] पाणिनि द्वारा प्रयुक्त एक विकरण जो स्वादि गण में प्रयुक्त होता है । धातुओं के बाद और तिडंत प्रत्ययों के पूर्व इसका प्रयोग होता है जिसका रुप 'अ' शेष रहता है । जैसे, /?/भू + शप् + ति = /?/भू + अ + ति = भवति ।
शप् ^२ अव्य॰ [सं॰] स्वीकरणसूचक शब्द । स्वीकार [को॰] ।