शबाब संज्ञा पुं॰ [अ॰] १. यौवन काल । जवानी । २. किसी वस्तु की वह मध्य की अवस्था जिसमें वह बहुत अच्छा या सुंदर जान पड़े । ३. बहुत अधिक सौंदर्य । क्रि॰ प्र॰—आना ।—उतरना ।—चढ़ना ।—जाना । मुहा॰—शबाब फट पड़ना = जवानी की पूरी तरह खिल उठना या जोर पर होना ।