शबाब
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
शबाब संज्ञा पुं॰ [अ॰]
१. यौवन काल । जवानी ।
२. किसी वस्तु की वह मध्य की अवस्था जिसमें वह बहुत अच्छा या सुंदर जान पड़े ।
३. बहुत अधिक सौंदर्य । क्रि॰ प्र॰—आना ।—उतरना ।—चढ़ना ।—जाना । मुहा॰—शबाब फट पड़ना = जवानी की पूरी तरह खिल उठना या जोर पर होना ।