शब्दशक्ति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शब्दशक्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] शब्द की वह शक्ति जिसके द्वारा उसका कोई विशेष भाव प्रदर्शित होता है । विशेष—जब शब्द किसी वाक्य या वाक्यांश का अंग होता है, तब उसका अर्थ या तो साधारण और या वाक्य के तात्पर्य के अनुसार और अपने साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता । उसकी जिस शक्ति के अनुसार वह साधारण या उससे कुछ भिन्न अर्थ प्रकट होता है, वह शब्दशक्ति कहलाती है । यह शब्दशक्ति तीन प्रकार की मानी गी है—अभिधा, लक्षणा और व्यंजना । विशेष दे॰ ये तीनों शब्द इन तीनों से प्रकट होनेवाले अर्थ क्रमशः वाक्य, लक्ष्य और व्यग्य कहे गए हैं तथा इन्हें प्रकट करनेवाले शब्द वाचक, लक्षक और व्यंजक कहलाते हैं ।