शमी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शमी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. कर्म । क्रिया (को॰) । ^

२. एक प्रकार का बड़ा वृक्ष । सफेद कीकर । छिकुर । छोँकर । विशेष—शमी का वृक्ष पंजाब, सिंध, राजपूताना, गुजरात, और दक्षिण के प्रांतों में पाया जाता है । इसे बागों में भी लगाते हैं । इसका वृक्ष ३०-४० फुट तक ऊँचा होता है; परंतु सिंघ में यह ६० फुट का भी होता है । इसकी शाखें पतली, खाकी रंग की, चित्तीदार और भूमि की ओर लटकती हुई होती हैं । इसकी जड़ कहीं कहीं ६० फुट तक भूमि के भीतर नीचे चली जाती है, और चारों ओर बहुत दूर तक बढ़ती है, जिससे नए अंकुर निकलकर और पौधे उत्पन्न होते हैं । इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है । इसके वृक्ष पर काँटे होते हैं । डालियों पर विषमवर्ती सींके रहते हैं । इन सींकों पर ७ से १२ जोड़े तक छोटे छोटे पत्ते रहते हैं । शाखों के अंत में ३-४ इंच लंबे सींकों पर नन्हें नन्हें पीले तथा गुलाबी रंग के फूल आते हैं । इसकी फलियाँ ५ से १० इंच तक लंबी और चिपटी होती हैं । प्रत्येक फली में १०-१५ बीज रहते हैं जो अंडाकार और भूरे रंग के होते हैं । इसकी छाल और फलियाँ ओषधि के काम आती हैं । लोग इसकी फलियों का अचार और साग बनाकर खाते हैं । दुर्भिक्ष के समय इसकी छाल के आटे की रोटी बनाकर भी खाई जाती है । इसका भस्म बुद्धि, केश तथा नखों का नाश करनेवाला होता है । अतिसार में इसका काढ़ा लाभदायक होता है । गठिया पर इसकी छाल पींसकर गरम करके लगाने से लाभ होता है । लोग विजयादशमी आदि कुछ विशिष्ट अवसरों पर इसका पूजन भी करते हैं । पर्या॰—शक्तुफला । शिवा । केशहंत्री । केशहंत्री । शांता । हविर्गंधा । मेध्या । ईशानी । लक्ष्मी । तपनतनया । शुभदा । पवित्रा । बागुजि । पापनाशिनी । शंकरी । पापशमनी । इष्टा । तुंगा । शिवाफला । सुपत्रा । सुखदा ।

शमी ^२ वि॰ [सं॰ शमिन्] शांत ।