शरीर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शरीर उछालकर किसी वस्तु के आगे जा पड़ना । डाँकना । जैसे, नाली फाँदना, गड्ढा फाँदना ।
२. नर (पशु) का मादा पर जोड़ा खाने के लिये जाना ।
शरीर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] मनुष्य या पशु आदि के समस्त अंगों की समष्टि । सिर से पैर तक के सब अंगों का समूह । देह । तन । बदन । जिस्म । विशेष—'शरीर' शब्द से प्रायः आत्मा से भिन्न और सब अंगों या अवयवों का ही भाव ग्रहण किया जाता है । पर हमारे यहाँ शास्त्रों में शरीर के दो भेद किए गए हैं-सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर । बुद्धि, अहंकार, मन, पाँचा ज्ञानेंद्रियां, पाँचों कर्मेंद्रियों और पंच तन्मात्र के समूह को सूक्ष्म या लिंगशरीर कहते हैं । और, हाथ, पैर, मुँह, सिर, पेट, पीठ आदि अंगों का समूह स्थूल शरीर कहलाता है । इसी स्थूल शरीर में सूक्ष्म या लिंगशरीर का वास होता है । कहते हैं, जब जीव मर जाता है, तब उसका सूक्ष्म शरीर या लिंग शरीर उसके स्थूल शरीर में से निकलकर परलोक को जाता है । पर्या॰—कलेवर । गात्र । विग्रह । काय । मूर्ति । तनु । क्षत्र । पिंड । स्कंध । पंजर । करण । बंव । मुदगल ।
२. शारीरिक शक्ति (को॰) ।
३. जीवात्मा (को॰) ।
४. शव (को॰) ।
शरीर ^२ वि॰ [अ॰ संज्ञा शरारत] पाजी । दुष्ट । नटखट ।