शल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कंस के एक मल्ल का नाम । उ॰—और मल्ल मारे शल तोशल बहुत गए सब भाज ।—सूर (शब्द॰) ।

२. ब्रह्मा ।

३. ऊँट ।

४. एक प्रकार का वृक्ष ।

५. शल्यराज का एक नाम । विशेष दे॰ 'शल्यराज' ।

६. भाला ।

७. साही का काँटा । उ॰—ठीक, यहाँ पर शल्य छोड़कर शल गया । नाम रहे पर काम बराबर चल गया ।—साकेत, पृ॰ १३७ ।

८. श्रृंगी या भृंगी जो शिव के परिषद् हैं ।

९. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम ।

११. वासुकी के वंश के एक नाग का नाम ।

शल ^२ वि॰ [अ॰ शल्ल] निश्चेष्ट । सुन्न । जो हिलाया न जा सके । उ॰—हाथ लट जाय, शल हथेली हो । उँगलिया पोर पोर कट जावें ।—चुभते॰, पृ॰ ३९ ।