शांत
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व्युत्पत्ति
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[सम्पादन]शांत (śānt)
- शांत ^१. वि॰ [सं॰ शान्त] ।
- जिसमें वेग, क्षोभ या क्रिया न हो ।
- ठहरा हुआ ।
- रुका हुआ ।
- बंद ।
- जैसे,—अंधड़ शांत होना, उपद्रव शांत होना, झगड़ा शांत होना ।
- (कोई पीड़ा, रोग, मानसिक वेग आदि) जो जारी न हो ।
- बंद ।
- मिटा हुआ ।
- जैसे,—क्रोध शांत होना, पीड़ा शांत होना, ताप शांत होना ।
- जिसमें क्रोध आदि का वेग न रह गया हो ।
- जिसमें जोश न रह गया हो ।
- स्थिर ।
- जैसे,—जब हमने समझाया, तब वे शांत हुए ।
- जिसमें जीवन को चेष्टा न रह गई हो ।
- मृत ।
- मरा हुआ ।
- जो चंचल न हो ।
- धीर ।
- उग्रता या चंचलता से रहिस ।
- सौम्य ।
- गंभीर ।
- जैस,—शांत प्रकृति, ramशांत आदमी ।
- मौन । चुप ।
- खामोश ।
- जिसने मन और इंद्रियों के वेग को रोका हो ।
- मनोविकारों से रहित ।
- रागादिशून्य ।
- जितेंद्रिय ।
- उत्साह या तत्परतारहित ।
- जिसमें कुछ करने की उमंग न रह गई हो ।
- शिथिल । ढाला ।
- हारा हुआ ।
- थका हुआ ।
- श्रांत ।
- जो दहकता न हो ।
- बुझा हुआ ।
- जैसे,—अग्नि शांत होना ।
- विघ्न-बाधा-रहित ।
- स्थिर ।
- जिसकी घबराहट दूर हो गई हो
।
- जिसका जो ठिकाने हो गया हो ।
- स्वस्यचित्त ।
- जिसपर असर न पड़ा हो ।
- अप्रभावित ।
- निःशब्द । सुनसान ।
- जसे, शांत तपोवन(को॰) ।
- पूत । पावत्रोकृत (को॰) ।
- शुभ (को॰) ।
- (अस्त्र, श्स्त्र, आदि) जिसका प्रभाव नष्ट कर दिया गया हो ।
- प्रभावविहीन किया हुआ (को॰) ।
- शांत ^२. संज्ञा पुं॰
- काव्य के नौ रसों मे से एक रस जिसका स्थायी भाव 'निर्वेद' (काम, क्रोधादि वेगों का शमन) है ।
- विशेष—इस रस में संसार की आनत्यता, दुःखपूर्णता, असारता आदि का ज्ञान अथवा परमात्मा का स्वरूप आलंबन होता है; तपोवन, ऋषि, आश्रम, रमणीय तीर्थादि, साधुओं का सत्सग आदि उद्दीपन, रोमांच आदि अनुभाव तथा निर्वेद, हष, स्मरण, मति, दया आदि संचारी भाव होते हैं ।
- शांत का रस कहने में यह वाधा उपस्थित का जाती है कि यदि सब मनोविकारों का शमन ही शांत रस है, तो विभाव, अनुभाव और संचारी द्वारा उसकी निष्पत्ति कैसे हो सकती है ।
- इसका उत्तर यह दिया जाता है कि शांत दशा में जो सुखादि का अभाव कहा गया, है, वह विषयजन्य सुख का है ।
- योगियों को एक अलौकिक प्रकार का आनंद होता है जिसमें सचारी आदि भावों की स्थिति हो सकता है ।
- नाटक में आठ ही रस माने जाते हैं; शांत रस नहीं माना जाता ।
- कारण यही कि नाटक में आभनय क्रिया ही मुख्य है, अतः उसमें 'शांत' का समावेश (जिसमें क्रिया, मनाविकार आदि की शांति कही जाती है) नहीं हो सकता ।
- पर बाद के विवेचकों ने नाटय में भी शांत रस की स्थिति मान्य ठहराई है ।
- इंद्रियनिग्रही ।
- योगी ।
- विरक्त पुरुष ।
- मनु का एक पुत्र ।
- संतोषण ।
- सांत्वन ।
- तुष्टि करना ।
- तोषना ।
- शांति ।
- निस्तबध्ता (को॰) ।
- शांत ^३. अव्य॰ बस बस ।
- ऐसा नहीं ।
- छिः छिः ।
- अधिक नहीं आदि अर्थों का सूचक अव्यय [को॰] ।
- शांत गुण वि॰ [सं॰ शान्तगुण] मरा हुआ ।
- मृत [को॰] ।
- शांत चेता वि॰ [सं॰ शांतचेतस्] शांतात्मा ।
- स्तिर मनवाला [को॰] ।