शारीर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शारीर ^१ वि॰ [सं॰]
१. शरीर संबंधी । शरीर का ।
२. शरीर से उत्पन्न ।
शारीर ^२ संज्ञा पुं॰
१. शरीर को होनेवाले दुःख जो आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक, तीन प्रकार के होते हैं ।
२. वृष । साँड़ ।
३. जीवात्मा । आत्मा (को॰) ।
४. मल (को॰) ।
५. शरीररचना (को॰) ।
६. एक प्रकार की ओषधि (को॰) ।
शारीर विद्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] दे॰ 'शारीर विधान' ।
शारीर विधान संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह शास्त्र जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि जीव किस प्रकार उत्पन्न होते और बढ़ते हैं ।
२. वह शास्त्र जिसमें जीवों के शरीर के भिन्न भिन्न अंगों और उनके कार्यों का विवेचन होता है ।
शारीर व्रण संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्रकार का रोग । विशेष—यह वात, पित्त कफ और रक्त से उत्पन्न होता है । परंतु रक्त के संबंध से द्विदोषज और त्रिदोषज होने के कारण आठ प्रकार का हो जाता है—(१) वातव्रण, (२) पित्तव्रण, (३) कफव्रण, (४) रक्तव्रण, (५) वातपित्तज व्रण, (६) वातकफज व्रण, (७) कफपित्तज व्रण, और (८) संनिपातज व्रण ।
शारीर शास्त्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] दे॰ 'शारीर विधान' ।