शिखण्डी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शिखंडी ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शिखण्डिन्]

१. पीली जूही । स्वणीयूथिका ।

२. गुंजा । चिरमिटी । घुंघची ।

३. मोर । मयूर पक्षी ।

४. मुर्गा ।

५. मोर की पूँछ ।

६. वाण ।

७. विष्णु ।

८. कृष्ण ।

९. शिव ।

१०. शिखा । बालों की चोटी । उ॰— शिखंडी शीश मुख मुरली बजावत वन्यो तिलक उर चंदन ।— सूर (शब्द॰) ।

११. द्रुपद का एक पुत्र । विशेष—यह पहले कन्या के रूप में उत्पन्न हुआ था, पर इसे पुत्र के रूप में प्रसिद्ध किया गया और शिक्षादीक्षा भी पुत्र के समान दी गई । कालांतर में हिरण्य वर्मा की कन्या से इसका विवाह भी हुआ । यह जानकर कि मेरी कन्या का विवाह एक स्त्री से हुआ है और द्रुपद ने मुझे धोखा दिया है, हिरण्य वर्मा ने द्रुपद पर आक्रमण करन की तैयारी की । इस बीच शिखंडी ने बन में घोर तप किया और एक यक्ष को प्रसन्न कर अपना स्त्रीत्व उसे दे देने के पीछे पुरुष के रूप में हो गया । इसी को आगे करके महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने युद्ध के दसवें दिन पितामह भीष्म का बध किया था । भीष्म की प्रतिज्ञा थी कि हम किसी स्त्री पर बाण न चलावेंगे । अश्वत्थामा के हाथ इसका वध हुआ था । विशेष दे॰ 'शिखंडिनी' ।

१२. राम के दल का एक बंदर । उ॰—धुंधमाल गिरि पुनि गए मिले शिखंडी नाम ।—विश्राम (शब्द॰) ।

१३. बृहस्पति । देवगुरु ।—अनेक (शब्द॰) ।

शिखंडी वि॰ शिखंडयुक्त । शिखावाला [को॰] ।