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शिवपुराण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शिवपुराण संज्ञा पुं॰ [सं॰] अठारह पुराणों में से एक पुराण जो शैवपुराण भी कहा जाता है । विशेष—यह पुराण शिवप्रोक्त माना जाता है और इसमें शिव का माहात्म्य वर्णित है । अन्य पुराणों के अनुसार इसमें बारह संहिताएँ और२०,॰॰०श्लोक हैं । पर आजकल जो शिवपुराण मिलता है उसमें केवल चार संहिताएँ और ७,॰॰०श्लोक पाए जाते हैं । इसीलिये कुछ लोगों का मत है कि शिवपुराण और वायुपुराण दोनों एक ही हैं । विष्णु, पद्म, मार्कंडेय, कूर्म, वराह, लिंग, ब्रह्मवैवर्त, भागवत और स्कंदपुराण में तो शिवपुराण का नाम है पर मत्स्य, नारद और देवीभागवत में शिवपुराण के स्थान पर वायु- पुराण का नाम मिलता है । कहते हैं, शैवधर्म का प्रकाश करने के लिये शिव जी ने यह पुराण रचा था । इसमें निम्नलिखित बारह संहिताएँ हैं—विद्येश्वर, रौद्र , विनायक, भौम, मातृका, रुद्रैकादश, कैलास, शतरुद्र, कोटिरुद्र, सहस्रकोटिरुद्र, वायवीय और धर्मसंहिता । इसके रचयिता भगवान् देदव्यास जी कहे जाते हैं । पर आजकल जो शिवपुराण मिलना है उसमें केवल ज्ञान, विद्येंशर, कैलास, वायवीय, और धर्म आदि संहिता ही पाई जाती हैं । किसी किसी शिवपुराण में सनत्कुमारसंहिता और गया माहात्म्य भी मिलता है ।