शिशुमार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शिशुमार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सूँस नामक जलजंतु ।

२. मगर की आकृतिवाला, नक्षत्रमंडल ।

३. दे॰ 'शिशुमार चक्र' । उ॰—(क) मेरो रूप चक्र शिशुमारा । जामें सकल बँध्यो संसारा ।—रघुराज (शब्द॰) । (ख) बहुत काल में सुरति करि, जब डोल्यो शिशुमार । तब संध्या भै भानु किय, अस्ताचल संचार । रघुराज (शब्द॰) ।

४. कृष्ण ।

५. विष्णु ।

शिशुमार चक्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] सब ग्रहों सहित सूर्य । सौर जगत् । उ॰—अवध अनंद निहारि मगन रुके भानु गति भूली । रुक्य ौ चक्र शिशुमार वार तेहि राम जन्म सुख फूली । —रघुराज (शब्द॰) ।