शुद्धि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शुद्धि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. शुद्ध होने का कार्य ।
२. सफाई । स्वच्छता ।
३. वैदिक धर्म के अनुसार वह कृत्य या संस्कार जो किसी अशुद्धया अशुच व्यक्ति के शुद्ध होने के समय होता है । जैसे—अशौच की समाप्ति पर शुद्ध होने के समय का कृत्य या किसी धर्मभ्रष्ट व्यक्ति के शुद्ध होकर पुनः अपने धर्म में आने के समय होनेवाला कुत्य या संस्कार ।
४. दुर्गा का एक नाम ।
५. दीप्ति । चमक । कांति (को॰) ।
६. पवित्रता । पुण्यशीलता (को॰) ।
७. ऋण आदि का परिशोधन (को॰) ।
८. प्रतिहिंसा । प्रतिशोध (को॰) ।
९. छुटकारा (को॰) ।
१०. सचाई । यथार्थता (को॰) ।
११. समाधान । संशोधन (को॰) ।
१२. व्यवकलन (को॰) ।