शूद्रक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शूद्रक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. विदिशा नगरी का एक राजा और 'मृच्छ कटिक' का रचयिता महाकवि ।

२. शूद्र । (डिं॰) ।

३. शूद्र जाति का एक व्यक्ति जिसका नाम शंबुक था । विशेष—कहते हैं, यह रामचंद्र के राजत्व काल में था । एक बार एक ब्राह्मण का पुत्र इसकी तपस्या के कारण मर गया । उसने जाकर रामचंद्र जी के यहाँ प्रार्थना की । नारद आदि ऋषियों ने कहा कि इस राज्य में कोई शूद्र तपस्या कर रहा है; उसी के फलस्वरूप इस ब्राह्मण का पुत्र इसके सामने मरा है । इसपर रामचंद्र जी ने इसका पता लगवाया और तब इसका सिर कटवा डाला ।