शूरा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शूरा ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] क्षीरकाकोली नामक अष्टवर्गीय ओषधि ।

शूरा पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शूर] सामंत । वीर । उ॰—पैठि गुफा में सब जग देखै, बाहर कछू न सूझै । उलटा बान पारथिव लागे, शूरा होय सो बूझै ।—कबीर (शब्द॰) ।

शूरा ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शूर (=सूर्य) अथवा सूर्य] सूर्य । उ॰—जहाँ चंद न शूरा, तारा नहिं जही मोरनिया ।—कबीर (शब्द॰) ।