शेखी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शेखी संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰ शेखी]

१. गर्व । अहंकार । घमंड ।

२. शान । ऐंठ । अकड़ ।

३. अभिमान भरी बात । डींग । मुहा॰—शेखी बधारना, हाँकना या मारना = बढ़ बढ़कर बातें करना । अभिमान से भरी बातें बालना । डींग मारना । शेखी झड़ना या निकलना = गर्व चूर्ण होना । मान ध्वस्त होना । ऐसा दंड पाना या हानि सहना कि अभिमान दूर हो जाय । शेखी की बोलना = दे॰ 'शेखी बधारना' । उ॰—अच्छा अच्छा, बस बहुत शेखी की न बोली ।—फिसाना॰, भा॰ २, पृ॰ ३४ ।