शोष
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शोष संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. सूखने का भाव । खुश्क होना । रस या गीलापन दूर होने का भाव ।
२. छीजने का भाव । क्षय ।
३. शरीर का घुलना या क्षोण होना ।
४. एक रोग जिसमें शरीर सूखता या क्षीण होता जाता है । राजयक्ष्मा का भेद । क्षयी । विशेष—वैद्यक में शोष रोग के छहु कारण बताए गए हैं— अधिक शोक, जरावस्था, अधिक मार्ग चलना, अधिक व्यायाम, अधिक स्त्रीप्रसंग और हृदय में चोट लगना । इस रोग में शरीर क्षीण होता जाता है, मंद ज्वर और खाँसी रहती है, पसली, छाती और कमर में पीड़ा रहती है तथा अतिसार भी हो जाता है ।
५. बच्चों का सुखंडी रोग ।
६. खुश्की । सूखापन ।