श्राद्ध
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]श्राद्ध संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह कार्य जो श्रद्धापूर्वक किया जाय । श्रद्धा से किया जानेवाला काम ।
२. वह कृत्य जो शास्त्र के विधान के अनुसार पितरों के उद्देश्य से किया जाता है । जैसे पितरों के उद्देश्य से तर्पण और पिंडदान करना तथा ब्राह्मणों को भोजन कराना । उ॰—श्राद्ध करत पितरन को तर्पण करि बहु भाँति । कहुँ विप्रन को देत दक्षिणा कहुँ भोजन की पाँति ।—सूर (शब्द॰) । विशेष—कुछ लोगों के मत से श्राद्ध पाँच प्रकार का है—नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि और पार्वण और कुछ लोग इन पाँच प्रकार के श्राद्धों के अतिरिक्त नीचे लिखे सात प्रकार के और भी (कुल बारह प्रकार के) श्राद्ध मानते है—सपिंडन, गोष्ठी, शुद्धचर्थ, कर्मांग, दैविक, यात्रार्थ और पुष्टचर्थ ।
३. आश्विन कृष्ण पक्ष जिसमें पितरों के उद्देश्य से विशेष रूप से पिंडदान किया और ब्राह्मणभोजन कराया जाता है । पितृ- पक्ष ।
४. विश्वास ।
५. प्रीति ।
श्राद्ध पक्ष संज्ञा पुं॰ [सं॰] तर्पण, पिंडदान आदि के लिये निश्चित आश्विन मास का कृष्ण पक्ष । पितृपक्ष ।