श्रीवल्ली
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]श्रीवल्ली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] एक प्रकार की कँटीली लता या चढ़नेवाली झाड़ी, जिसका व्यवहार औषध में होता है । विशेष—यह लता कुछ दिनों तक यों हीं खड़ी रहती है, पीछे बढ़ने पर किसी वृक्ष आदि का आश्रय लेती है । इसके डंठल और टहनियाँ भूरे रंग को होती हैं तथा उनपर टेढ़े काँटे होते हैं । यह फागुन से फूलने लगती है और आषाढ़ तक फलती है । इसमें छोटी छोटी फलियाँ लगती हैं । वैद्यक में ये फलियाँ हलकी, रेचक और वमनकारक कही षई हैं । इस पौधे की फली, पत्ती और छाल तीनों औषधोपयोगी हैं । पर्या॰— शितवल्ली । कंटवल्ली । अभ्ला । कटुफला । दुरारोहा ।