श्रोत्रिय
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वैदिक मंत्रों को बार बार आवृत्ति करके उन्हें कण्ठस्थ करने वाला
एवं
धर्मग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त करके प्रवचन द्वारा वास्तविक सत्य को प्रकट करने वाला श्रोत्रिय कहलाता है।
आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त वह श्रेष्ठ {श्रोत्रिय} ब्राह्मण श्रद्धेय और पूजा योग्य होता है।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]श्रोत्रिय ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह जो वेद वेदांग में पारंगत हो । वेदज्ञ ।२ वि॰ १. वेदज्ञ । वेद में पारंगत ।
२. श्रेष्ठ ब्राह्मणों का एक वर्तमान भेद । [को॰] ।
३. श्रद्धा योग्य
४. पूज्य
५. सभ्य । शिष्ट । सुसंस्कृत [को॰] ।
४. ब्राह्मणों की श्रेष्ठ श्रेणी
५. प्रवचन करने वाला
६. तत्वज्ञ
७. बहुत अधिक शिक्षित
८. आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त
९. शास्त्रों और पुराणों के विद्वान
१०.धर्मग्रन्थों द्वारा वास्तविक सत्य को प्रकट करने वाला