श्वेताश्वतर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

श्वेताश्वतर संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. कृष्ण यजुर्वेद की एक शाखा ।

२. उपनिषद् विशेष । विशेष—कृष्ण यजुर्वेद की यह उपनिषद् छह अध्यायों की है । इसमें वेदांत के प्रायः सब सिद्धांतों के मूल पाए जाते है । भगवद् गीता के बहुत से प्रसंग इससे लिए हुए जान पड़ते हैं । इसकी संस्कृत बड़ी ही सरल और स्पष्ट है । वेदांत के प्रसंगों के अतिरिक्त इसमें योग और सांख्य के सिद्धांतों के मूल भी मिलते है । वेदांत, सांख्य और योग तीनों शास्त्रों के कर्ताओं ने मानो इसी के मूल वाक्यों को लेकर ब्रह्म के स्वरूप तथा पुरुष-प्रकृति भेद आदि का विस्तार किया है ।