षटतुकी पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ षट् + हिं॰ तुक + ई (प्रत्य॰)] छप्पय छंद । उ॰—किए कवित षटतुकी बहुरि मनहर अरु इंदव । कुंडलिया पुनि साषि भक्ति विमुखनि को निंदव ।—सुंदर॰ ग्रं॰ (जी॰), भा॰ १, पृ॰ १४४ ।