षप्र पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰ खप्पर] दे॰ 'खप्पर' । उ॰—भरि रुद्धि षप्र जुगनीय ईस मुंडन भर वथ्थिय । पलचर रूधिचर पूरि सक्क करि कारज सथ्यिय ।—पृ॰ रा॰, २ ।२६३ ।