सामग्री पर जाएँ

षोड़शोपचार

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

षोड़शोपचार संज्ञा पुं॰ [सं॰ षोडशोपचार] पूजन के पूर्ण अंग जौ सोलह माने गए हैं । विशेष—इनके नाम इस प्रकार हैं—(१) आवाहन, (२) आसन, (३) अर्ध्यपाद्य, (४) आचमन, (५) मधुपर्क, (६) स्नान, (७) वस्त्राभरण, (८) यज्ञोपवीत, (९) गंधन (चंदन), (१०) पुष्प, (११) धूप, (१२) दीप, (१३) नैवेद्य, (१४) ताबूल, (१५) परिक्रमा और (१६) बंदना । तंत्रसार के अनुसार इनके नाम इस प्रकार है,—(१) आसन, (२) स्वागत, (३) पाद्य, (४) अर्ध्य, (५) आचमन, (६) मधुपर्क, (७) आचमन, (८) स्नान, (९) वस्त्र, (१०) आभरण, (१११) गंध, (१२) पुष्प, (१३) धूप, (१४) दीप, (१५) नैवेद्य और (१६) वंदना ।