सँकोचना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ सङ्कोच] संकुचित करना । संकोच करना । उ॰—नींद तन परति राति प्रेम पनु एक भाँति सोचत सँकोचत बिरंचि हरि हर कै ।—तुलसी (शब्द॰) ।
सँकोचना ^२ क्रि॰ अ॰ संकुचित होना ।