संक्षिप्ति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

संक्षिप्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] नाटक में चार प्रकार की आरभटियों में से एक प्रकार की आरभटी, जहाँ क्रोध आदि उग्र भावों की निवृत्ति होती है (जैसे,—रामचंद्रजी की बातों से परशुराम के क्रोध की निवृत्ति होना) वहाँ यह वृत्ति मानी जाती है । विशेष दे॰ 'आरभटी' ।

२. साथ साथ फेंकने की क्रिया (को॰) ।

३. संक्षेपीकरण । घटाना । ठोस या घना करना (को॰) ।

४. प्रेषण । भेजना (को॰) ।

५. घात में रहना । किसी गुप्त स्थान में छिपना (को॰) ।