संगी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

संगी ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङिगन्, हि॰ संग + ई (प्रत्य॰)]

१. वह जो सदा संग रहता हो । साथी ।

२. मित्र । बंधु ।

संगी ^२ वि॰

१. संयुक्त । मिला हुआ ।

२. अनुरक्त । आसक्त ।

३. कामुक ।

४. अविच्छिन्न । संतत ।

५. बांछा करनेवाला । स्पृही [को॰] ।

संगी संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार का कपड़ा जो विवाह आदि में वर का पाजामा तथा स्त्रियों के लहँगे इत्यादि के बनाने के काम में आता हैं ।

संगी ^४ वि॰ [फ़ा॰ संग ( =पत्थर)] पत्थर का । संगीन । जैसे,— संगी मकान ।