संघाट संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङ्घाट] १. दल, समूह या संघ आदि में रहनेवाला । वह जो दल बाँधकर रहता हो । २. लकडी आदि को जोड़ना या मिलाना । जोड़ने का काम । बढ़ईगिरी (को॰) ।