संयम
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]संयम संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ संयमो, संयमित, संयत]
संयम; अधिक भोग और पूर्ण त्याग के मध्य आत्मनियंत्रण की स्थिति है। व्यवहारिक जीवन और आध्यात्मिक साधनाओं में सफलता के लिए इसे अनिवार्य माना गया है। आध्यात्मिक दृष्टि से संयम आत्मा का गुण है। इसे आत्मा का सहज स्वभाव माना गया है।
१. रोक । दाब । वश में रखने की क्रिया या भाव ।
२. इंद्रियनिग्रह । मन औ र इंद्रियों को वश में रखने की क्रिया । चित्तवृत्ति का निरोध ।
३. हानिकारक या बुरी वस्तुओं से बचने की क्रिया । परहेज । जैसे,—संयम से रहो तो जल्दी अच्छे हो जाओगे ।
४. बाँधना । बंधन । जैसे,—केश संयम ।
५. बंद करना । मुँदना ।
६. योग में ध्यान, धारण और समाधि या उनका साधन ।
७. प्रयत्न । उद्योग । कोशिश ।
८. धूम्राक्ष के एक पुत्र का नाम ।
९. प्रलय ।
१०. धार्मिक व्रत, अनुष्ठान आदि (को॰) ।
११. तपश्चरण । तपस्या (को॰) ।
१२. मनुष्यता । मानवता । आदमियत (को॰) ।
१३. व्रत, अनुष्ठान आदि करने के पूर्व किया जानेवाला धार्मिक कृत्य (को॰) ।
१४. विनाश (को॰) ।