संयुग

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

संयुग संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मेल । मिलाप । संयोग । समागम ।

२. भिड़ना । भिड़ंत ।

३. युद्ध । लड़ाई । उ॰—रोप्यो रन रावन, बोलाए बीर बानइत जानत जे रीति सब संयुग समाज की । चली चतुरंग चमू, चपरि हने निसान, सेना सराहन जोग राति- चरराज की ।—तुलसी (शब्द॰) ।