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संवर

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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संवर संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. रोक । परिहार । दूर करना । जैसे,— कालसंवर ।

२. इंद्रियानिग्रह । मन को दबाना या वश में करना ।

३. बौद्ध मतानुसार एक प्रकार का व्रत ।

४. बाँध । बंद ।

५. पुल । सेतु ।

६. चुनना । पसंद करना ।

७. कन्या का वर चुनना ।

८. आच्छादन । आवरण (को॰) ।

९. बोध । समझ (को॰) ।

१०. आड़ या ओट करना । संकोचन (को॰) ।

११. एक प्रकार का हिरन (को॰) ।

१२. एक राक्षस का नाम दे॰ 'शंबर' (को॰) ।

१३. छिपाव । दुराव । गोपन (को॰) ।

१४. पानी । जल (को॰) ।

१५. एक प्रकार की मछली (को॰) ।

१६. अपने को दृश्यमान संसार से दूर करना । (जैन) ।