संशय
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संज्ञा
[सम्पादन]संशय
- किसी विषय, तथ्य या व्यक्ति के बारे में संदेह या अनिश्चितता।
- किसी बात के सही या गलत होने में असमर्थता या भ्रम।
उच्चारण
[सम्पादन]IPA: /sən.ʃəj/
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]संशय संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. लेट रहना । पड़ रहना ।
२. दो या कई बातों में से किसी एक का भी मन में न बैठना । अनिश्च- यात्मक ज्ञान । अनिश्चय । संदेह । शक । शुबहा । दुबधा । विशेष—यह न्याय के सोलह पदार्थों में से एक है ।
३. आशंका । खतरा । डर । जैसे,—प्राण का संशय में पड़ना ।
४. संदेह नामक काव्यालंकार ।
५. संभावना (को॰) ।
६. विवाद का विषय (को॰) । यौ॰—संशयकर=कठिनाई में डालनेवाला । खतरे से भरा हुआ । विपत्तिकर । संशयगत=जो विपत्ति या खतरे में पड़ गया हो । संशयच्छेद=संशय का विनाश । संदेह नाश । संशयच्छेदी= संशय दूर करनेवाला । संदेह का निराकारण करनेवाला । संशयसम । संशयस्थ ।
उदाहरण वाक्य
[सम्पादन]- उसकी बातों में कोई संशय नहीं है।
- संशय मन को अस्थिर करता है।