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संशय

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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संशय संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. लेट रहना । पड़ रहना ।

२. दो या कई बातों में से किसी एक का भी मन में न बैठना । अनिश्च- यात्मक ज्ञान । अनिश्चय । संदेह । शक । शुबहा । दुबधा । विशेष—यह न्याय के सोलह पदार्थों में से एक है ।

३. आशंका । खतरा । डर । जैसे,—प्राण का संशय में पड़ना ।

४. संदेह नामक काव्यालंकार ।

५. संभावना (को॰) ।

६. विवाद का विषय (को॰) । यौ॰—संशयकर=कठिनाई में डालनेवाला । खतरे से भरा हुआ । विपत्तिकर । संशयगत=जो विपत्ति या खतरे में पड़ गया हो । संशयच्छेद=संशय का विनाश । संदेह नाश । संशयच्छेदी= संशय दूर करनेवाला । संदेह का निराकारण करनेवाला । संशयसम । संशयस्थ ।