संहार
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]संहार संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक साथ करना । इकट्ठा करना । समेटना ।
२. संग्रह । संचय ।
३. संकोव । आकुंचन । सिकुड़ना ।
४. समेटकर बाँधना । गुँथना (केशों का) । जैसे, विण- संहार ।
५. छोड़े हुए बाण को फिर वापस लेना ।
६. खुलासा । सार । संक्षेप कथन ।
७. नाश । ध्वस ।
८. समाप्ति । अंत । खातमा । जैसे,—रूपक के किसी अंक या रूपक का । काव्य- संहार ।
९. कल्पांत । प्रलय ।
१०. एक नरक का नाम ।
११. कौशल । निपुणाता ।
१२. व्यर्थ करने की क्रिया । निवारण । परिहार । रोक । जैसे,—किसी अस्त्र का संहार ।
१३. उच्चारण संबंधी एक दोष (को॰) ।
१४. झुंड । समूह (को॰) ।
१५. अभ्यास । निरंतर प्रवृत्ति (को॰) ।
१६. भीतर की ओर करना । अंदर करना । सिकोड़ना । जैसे,—हाथी द्वारा अपनी सूँड़ (को॰) ।
१७. संहारक । संहर्ता (को॰) ।
१८. एक असुर (को॰) ।
संहार भैरव संज्ञा पुं॰ [सं॰] भैरव के आठ रूपों या मूर्तियों में से एक । कालभैरव ।
संहार मुद्रा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] तांत्रिक पूजम में अंगों की एक प्रकार की स्थिति, जिसे विसर्जन मुद्रा भी कहते हैं ।