सकपकाना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सकपकाना क्रि॰ अ॰ [अनु॰ सकपक]
१. चकपकाना । आश्चर्ययुक्त होना ।
२. हिचकना । आगापीछा करना ।
३. लज्जित होना । शरमाना ।
४. प्रेम, लज्जा या शंका के कारण उदभूत एक प्रकार की चेष्टा । उ॰—प्रथम समागम में एहो कवि रघुनाथ कहा कहौं रावरो सो एतनी सकाई है । मिलिवे की चरचा सुनत ही सकपकाई स्वेद भरै तन परै मुखिया पियराई है ।—रघुनाथ (शब्द॰) ।
५. हिलना । डोलना । लहराना । उ॰—सकपकाहिं विष भरे पसारे । लहरि भरे लहकति अति कारे ।—जायसी (शब्द॰) ।