सगाई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सगाई संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ सगा + आई (प्रत्य॰)]

१. यह निश्चय कि अमुक कन्या के साथ अमुक वर का विवाह होगा । विवाह संबंधी निश्चय । मँगनी ।

२. स्त्री पुरुष का वह संबंध जो छोटी जातियों में विवाह ही के तुल्य माना जाता है । प्राय: ऐसा संबंध विधवा स्त्री या पतिपरित्यक्ता स्त्री के साथ होता है । उ॰—बल कह्नो जो तुम मन ऐसी आइ । तौ तुम क्यों किन्हीं न सगाई ।—सूर (शब्द॰) ।

३. संबंध । नाता । रिश्ता । उ॰—(क) घोष ग्वाल पशुपाल अधम कुल ईश एक को कैन सगाई । सूर श्याम ब्रजवास बिसारे बाबा नंद यशोदा माई ।—सूर (शब्द॰) । (ख) मातु पिता प्रिय लोग सबै सनमानि सुभाय सनेह सगाई । संग सुभामिनी भाइ भलो दिन द्वै जनु औध हुते पुहुनाई ।—तुलसी (शब्द॰) ।