सगुण
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सगुण वि॰ [सं॰] जिस राशि का गुणक शून्य हो (गणित) ।
सगुण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. परमात्मा का वह रूप जो सत्व, रज और तम तीनों गुणों से युक्त है । साकार ब्रह्म ।
२. वह संप्रदाय जिसमें ईश्वर का सगुण रूप मानकर अवतारों की पूजा होती है । विशेष—मध्यकाल से उत्तरीय भारत में भक्तिमार्ग के दो भिन्न संप्रदाय हो गए थे । एक ईश्वर के निर्गुण, निराकर रूप का ध्यान करता हुआ मोक्ष की प्राप्ति की आशा रखता था और दूसरा ईश्वर का सगुण रूप राम, कृष्ण आदि अवतारों में मानकर उनकी पूजा कर मोक्ष की इच्छा रखता था । पहले मत के कबीर, नानक आदि मुख्य प्रचारक थे और दूसरे के तुलसी, सूर आदि ।
सगुण ^२ वि॰
१. गुणों से युक्त । सदगुणों से युक्त ।
२. भौतिक । सांसारिक ।
३. प्रत्यंचा से युक्त (धनष) ।
४. साहित्य या रचना में मान्य गुणों से युक्त [को॰] ।