सङ्ग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

संग ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङ्ग]

१. मिलने की क्रिया । मिलन ।

२. संसर्ग । सहवास । सोहबत । जैसे,—बुरे आदमियों के संग में अच्छे आदमी भी बिगड़ जाते हैं । क्रि॰ प्र॰—करना ।— छोड़ना ।— टूटना ।— रखना । मुहा॰—संग सोना = सहवास करना । समागम करना । उ॰— संग सोई तो फिर लाज क्या (कहा॰) । (किसी के) संग = साथ होलेना । पौछे लगना । (किसी को) संग लगना लेना = अपने साथ लेना या ले चलना । जैसे,—जब चलने लगना, तब हमें भी संग ले लेना ।

३. विषयों के प्रति होनेवाला अनुराग । विषयवासना ।

४. वासना । आसक्ति ।

५. वह स्थान जहाँ दो नदियाँ मिलती हों । नदियों का संगम ।

६. मैत्री । संपर्क । साथ (को॰) ।

७. योग । संगम (को॰) ।

८. मुठभेड़ । लड़ाई (को॰) ।

९. बाधा (को॰) । यौ॰—संगकर = आसक्त करनेवाला । संगत्याग = विराग । संगरहित, संगवर्जित = आनासक्त । आसक्तिरहित । संग- विच्युत्ति = विषयों से विराग ।

संग ^२ क्रि॰ वि॰ साथ । हमराह । सहित । जैसे,—(क) उनके संग चार आदमी आए हैं । (ख) मरने पर क्या कोई हमारे संग जायगा ? (ग) हम भी तुम्हारे संग चलेंगे ।

संग ^३ संज्ञा पुं॰ [फा़॰] पत्थर । पाषाण । जैसे,—संगमूसा, संगमरमर, संग असवद । यौ॰—संग अंदाज = (१) ढेला फेंकने का यंत्र । गोफन । ढेलवास । (२) पत्थर फेकनेवाला व्यक्ति । (३) किले की दीवारों में बने हुए छेद जिनसे शत्रू पर गोली, तीर, पत्थर आदि फेंकते हैं । संग आसिया = चक्की का पाट । संगखारा । संगख्वार = शुतुर- मुर्ग । संगचीनी = एक तरह का पत्थर । संगजराहत । संगतराज = बाट । बटखरा । संगदिल । मंगपुश्त । संगफर्श = पत्थर का फर्श । संगबसरी । संगबार = पत्थर फेंकनेवाला ।

संग ^४ वि॰ पत्थर की तरह कठोर । बहुत कड़ा । विशेष—इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग प्राय; यौगिक शब्द बनाने में उनके आरंभ में होता है । जैसे,—संगदिल = पाषाण हृदय । कठोर हृदय ।

संग अंगूर संज्ञा पुं॰ [संग?हि॰ अंगूर] एक प्रकार की वनस्पति । विशेष—यह हिमालय पर पाई जाती है और ओषधि के काम में आती है । इसे अंगूरशेफा, गिरी बूटी या पेवराज भी कहते हैं ।

संग असवद संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ संग + अ॰ असवद्] काले रंग का एक बहुत प्रसिद्ध पत्थर । विशेष—यह काबा की दीवार में लगा हुआ है और इसको हज करने के लिये जानेवाले मुसलमान बहुत पवित्र समझते तथा चूमते हैं । मुसलमानों का यह विश्वास है कि यह पत्थर स्वर्ग से लाया गया है; और इसे चूमने से पापों का नष्ट होना माना जाता है ।

संग सुलेमानी संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ संग + अ॰ सुलेमानी] एक प्रकार के रंगीन पत्थर के नग जिनकी मालाएँ आदि बनाकर मुसलमान फकीर पहना करते हैं ।