सत्तू
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सत्तू संज्ञा पुं॰ [सं॰ सक्तुक, प्रा॰ सत्तुअ] भुने हुए जौ और चने या और किसी अन्न का चूर्ण या आटा जो पानी में घोलकर खाया जाता है । मुहा॰—सत्तू बाँधकर पीछे पड़ना = (१) तैयारी के साथ किसी को तंग करने में लगना । सब काम धंधा छोड़कर किसी के विरुद्ध प्रयत्न करना । (२) पूर्ण तैयारी के साथ किसी काम में लगना । सब काम धंधा छोड़कर प्रवृत्त होना ।