सत्व
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
सत्व संज्ञा पुं॰ [सं॰ सत्व]
१. सत्ता । होने का भाव । अस्तित्व । हस्ती ।
२. सार । तत्व । मूल वस्तु । असलियत ।
३. अंत:- प्रकृति । खासियत । विशेषता ।
४. चित्त की प्रवृत्ति ।
५. आत्म- तत्व । चैतन्य । वित्तत्व ।
६. प्राण । जीव तत्व ।
७. सांख्य के अनुसार प्रकृति के तीन गुणों में से एक जो सब में उत्तम है और जिसके लक्षण ज्ञान, शांति, शुद्धता आदि हैं । विशेष— इस गुण के कारण अच्छे कर्म में प्रवृत्ति, विवेक आदि का होना माना गया है ।
८. प्राणी । जीवधारी ।
९. गर्भ । हमल ।
१०. भूत । प्रेत ।
११. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । १२ । दृढ़ता । धीरता । साहस । शक्ति । दम ।
१३. मूल तत्व । जैसे — पृथ्थी, वायु, अग्नि आदि (को॰) ।
१४. भद्रता । सद्गुण । श्रेष्ठता (को॰) ।
१५. वास्त- विकता । सचाई (को॰) ।
१६. बुद्धिमत्ता । अच्छी समझ (को॰) ।
१७. स्वाभाविक गुण या लक्षण (को॰) ।
१८. संज्ञा । नाम (को॰) ।
१९. लिंग शरीर (को॰) । यौ॰—सत्वकर्ता=जीवों की सृष्टि करनेवाला । सत्वपति = प्राणियों का स्वामी । सत्वलोक=प्राणिलोक । सत्वसंपन्न = (१) धीरजवाला । (२) जिसमें सत्वगुण हो ।